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Sunday, January 8, 2017

कई लोग

धन और स्वाभिमान कमाते गए, मखमल सी जिंदगी जीते चले गए।
चलते चलते कई लोग मिले कई दूर होते चले गए।।

कोशिश तो बहुत की साथ रहने की मगर बहाने मिलते चले गए।
चलते चलते कई लोग मिले कई दूर होते चले गए।।

बड़े लोग मिले बड़े शहर देखे, मगर मम्मी की गोद मोहल्ले की गलियां भूलते चले गए।
चलते चलते कई लोग मिले कई दूर होते चले गए।।

धुप में बारिश देखी बारिश में बर्फ,बचपन की दोस्ती के मौसम भूलते चले गए।
चलते चलते कई लोग मिले कई दूर होते चले गए।।

अपनों से मिलने के इंतज़ार की दूरी अंतरिक्ष सी लगने लगी,घर लौटने की तारीख से हौसले मिलते चले गए।
चलते चलते कई लोग मिले कई दूर होते चले गए।।

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