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Sunday, January 8, 2017

मीठा इंतजार

रहना उनके बिना बडा फीका लगता है,कुछ तो है जो बडा मीठा लगता है करना उनका इंतजार।।

सुबहा से करती हूँ दुनिया से बातें जानूं सबका हाल,ना करती कभी अपने दिल की धड़कनो का इजहार।
रहना उनके बिना बडा फीका लगता है,कुछ तो है जो बडा मीठा लगता है करना उनका इंतजार।।

धूप चढ़ते ही चली जाती हूँ सपनो की उस दुनिया में,जहाँ पाती हर लम्हा उनको करती अनगिनत प्यार के ईकरार।
रहना उनके बिना बडा फीका लगता है,कुछ तो है जो बडा मीठा लगता है करना उनका इंतजार।।

रह जाती हूँ सह जाती हूँ ये अकेलापन,यूँ ही फिरती रहती हूँ बेकरार।
रहना उनके बिना बडा फीका लगता है,कुछ तो है जो बडा मीठा लगता है करना उनका इंतजार।।

ये इंतजार का खेल भी बडा़ चटपटा है यारों,यहाँ बहुत मीठी लगती है जीत तो थोडी़ खट्टी लगती है ये हार।
रहना उनके बिना बडा फीका लगता है,कुछ तो है जो बडा मीठा लगता है करना उनका इंतजार।।

और भैया सब ठीक है

सहूलितयों के एनक लगा के,सुविधाओं के आइने मे सफलता का प्रतिबिंब देख लिया,
हम क्या बने क्या नही बने,वो सब तो ठीक है।
कुछ हैं जिनका कोइ नही उनसे पूछते चलो और भैया सब ठीक है।।

हम तो इच्छाओं का समंदर रखते हैं, कही तो जरूरतों की बूंदे सुख जाती हैं,
इस विलासिता के शोरगुल में दब गई सरलता की चीख है।
कुछ हैं जिनका कोइ नही उनसे पूछते चलो और भैया सब ठीक है।।

जशन की रातों में सुख के धुले चादर तो बहुत ओढ़ लिए,
कभी किसी के आंसुओं के दाग धोना भी ठीक है।
हम क्या बने क्या नही बने,वो सब तो ठीक है।
कुछ हैं जिनका कोइ नही उनसे पूछते चलो और भैया सब ठीक है।।

हँसी की गुल्लक फोड़ खुशी के पल खरीदना, रोते को हसाना फिर हँसा हँसा के रुलाना भी ठीक है।
कुछ हैं जिनका कोइ नही उनसे पूछते चलो और भैया सब ठीक है।।

कई लोग

धन और स्वाभिमान कमाते गए, मखमल सी जिंदगी जीते चले गए।
चलते चलते कई लोग मिले कई दूर होते चले गए।।

कोशिश तो बहुत की साथ रहने की मगर बहाने मिलते चले गए।
चलते चलते कई लोग मिले कई दूर होते चले गए।।

बड़े लोग मिले बड़े शहर देखे, मगर मम्मी की गोद मोहल्ले की गलियां भूलते चले गए।
चलते चलते कई लोग मिले कई दूर होते चले गए।।

धुप में बारिश देखी बारिश में बर्फ,बचपन की दोस्ती के मौसम भूलते चले गए।
चलते चलते कई लोग मिले कई दूर होते चले गए।।

अपनों से मिलने के इंतज़ार की दूरी अंतरिक्ष सी लगने लगी,घर लौटने की तारीख से हौसले मिलते चले गए।
चलते चलते कई लोग मिले कई दूर होते चले गए।।

Wednesday, December 21, 2016

एक शब्द

सुना था शब्दों में जादू,पर क्या पागल करने को एक शब्द ही काफी था।
तड़प तड़प के वो शब्द सुनने का इंतजार,बस लगता था मर जाना ही बाकी था।।

थम जाए सारी दुनिया का शोर पल भर के लिए,वो उनका एक शब्द ही काफी था।
होठों से निकले या हांथों से लिखे,उस एक शब्द और आपका एहसास ही काफी था।।

परदेसी दीवाली

उंगलिया चला ली बहुत कंप्यूटर पे,आज फिर दूकान सजानी है,फिर बर्तनों की चमक से चौंक जाने का मन कर रहा।
न जाने क्यों पटाखों का शोर सुनने का मन कर रहा,आज रात जगमगाते आसमा को देखने का मन कर रहा।।

गिन लिए दिन रात बहुत बिन अपनों के, आज रात कुछ बिखरे नोट गिनने का मन कर रहा।
न जाने क्यों पटाखों का शोर सुनने का मन कर रहा,आज रात जगमगाते आसमा को देखने का मन कर रहा।।

पिज़्ज़ाओ और बर्गरों की थाली अब फीकी लगती है,पूड़ी सब्जी की खुशबू से पेट भरने को मन कर रहा।
न जाने क्यों पटाखों का शोर सुनने का मन कर रहा,आज रात जगमगाते आसमा को देखने का मन कर रहा।।

पतझड़ आ गई यहाँ सब पत्ते बिखर गए,कुछ पत्ते उठाकर तीन पत्ती खेलने को मन कर रहा।
न जाने क्यों पटाखों का शोर सुनने का मन कर रहा,आज रात जगमगाते आसमा को देखने का मन कर रहा।।